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25- 07- 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 16




तबरेज उन सब के चेहरों पर उभरी हुयी चिंता की लकीरो को बखूबी देख और समझ सकता था । उसे डर था की कही उसके सच बताने पर घर में हंगामा ना हो जाए, कही उसकी अम्मी को कुछ हो ना जाए इस तरह उनके भाई द्वारा अपने ही भांजे पर चोरी का इल्जाम लगा सुन कर।


लेकिन वो कोई इतनी छोटी बात भी नही थी जिसे छिपाया जा सके इसलिए तबरेज ने हिम्मत करके सब सच सच बताना ही जरूरी समझा  क्यूंकि थोड़ी देर तो तकलीफ होगी लेकिन मन हल्का हो जाएगा सच बताने के बाद बाकी अल्लाह की मर्ज़ी जो होगा अच्छा होगा यही सोच कर उसने अपनी माँ का हाथ पकड़ा  और बोला " अम्मी आप  वादा करे जो कुछ भी मैं बताने जा रहा हूँ उसको सुनने के बाद आप  अपनी तबीयत खराब नही करेंगी  और किसी को भी कुछ  नही कहेंगी क्यूंकि जो कुछ भी हुआ है  उसमे किसी की भी गलती नही वो सिर्फ एक साजिश थी जिसका पर्दा फाश बहुत जल्द हो जाएगा इंशाल्लाह "


"बेटा जो कुछ भी हुआ है  बता  दे मेरा दिल बैठा जा रहा है , वायदा करती हूँ कुछ ऐसा वैसा नही करूंगी अब बता भी दे खुदा  के लिए  " आमना जी ने कहा


"ठीक है  अम्मी तो आप  सब  लोग ध्यान से सुनना बिना गुस्सा किए  अम्मी बात इस तरह है कि मेने मामू कि दुकान छोड़ दी है  " तबरेज ने कहा


"क्या, लेकिन क्यू " आमना ने हैरानी से पूछा 


"अम्मी बस यूं समझ लीजिये कि अब वहा से हमारा  दाना पानी उठ चुका था इसलिए वो दुकान छोड़  दी मेने " तबरेज ने कहा


"लेकिन भाईजान अचानक यूं इस तरह, आप को तो वो दुकान हर दिल अजीज थी  " आरिफ  ने पूछा 


"मेरे भाई अब वक़्त बदल चुका है , और हर  चीज वैसे ही रहे ये ज़रूरी तो नही, हाँ उस दुकान से मेरा लगाव था  क्यूंकि उसी दुकान पर काम करके मेने तुम्हे और इस घर को संभाला था , बहनों कि शादी की लेकिन अब वक़्त बदल चुका है  मेरा दाना पानी उस दुकान पर यही तक का लिखा था " तबरेज कहता 


"बेटा कोई तो बात ज़रूर हुयी होगी जो तुमने इतना बड़ा  फैसला यूं अचानक कर लिया, बताओ मुझे भाई जान ने कुछ कहा तुमसे या फिर तुम्हारी मुमानी ने, या फिर दुकान पर किसी ग्राहक से तू तू मैं मैं हो गयी, वैसे तुम्हारा रावय्या तो ग्राहकों के साथ भी बेहद प्यारा है  बताओ बेटा यूं इस तरह बातें दिल में नही रखते है  हम लोगो के साथ साँझा नही करोगे तो किसके साथ करोगे " आमना जी ने कहा


"अम्मी दरअसल बात यूं है की हमें उस दुकान से जलील और रुसवा करके निकाला गया है  जो कभी मेने सपने में भी नही सोचा था  " तबरेज ने कहा


"हमें मतलब, और ये क्या कह  रहे हो जलील और रुसवा करके, वो तो तुम्हारी दुकान थी आखिर किसकी इतनी हिम्मत हुयी की मेरे भाई जान की दुकान पर तुम्हे किसने जलील किया जरूर भाभी होंगी " आमना  जी कहती 

"अम्मी मुझे  भी  यही  गलत फ़हमी थी की वो दुकान जिस पर मेरा बचपन गुज़रा वो मेरे मामू की नही बल्कि मेरी ही क्यूंकि उस दुकान को मेने कभी पराया समझा  ही नही अम्मी मुझे  उस दुकान पर ले जाने वाले मामू ही थे  और आज  उस दुकान से चोरी का इल्जाम लगा  कर साजिशी जाल में फस  कर मुझे जलील और रुस्वा करके निकालने वाले भी वही थे " तबरेज ने कहा आँखों में आंसू लेकर


"चोर, ये क्या कह  रहे हो तुम," आमना जी ने कहा

"हाँ, अम्मी चोर  आज  आपके बेटे को चोर कहकर निकाला गया, इतना दर्द तो मुझे जब भी नही होता था जब लोग मुझे यतीम कहते थे  जितना आज  अपने मामू और उनके परिवार वालो के मुँह से अपने आप को चोर सुन कर हुआ " तबरेज ने कहा


"इतनी ज़ुर्रत मेरे बेटे को चोर  कहा, मेरे फ़रिश्ते सिफत बेटे को चोर कहने की हिम्मत कैसे हुयी भाई जान की फरिया अंदर से मेरा बुरखा तो लाना जरा जाकर पूछती हूँ जरा अपने भाई जान और उनकी बेगम से की आखिर उनकी कौन सी जायदाद या हीरे के हार मेरे बेटे ने चुरा  लिए  जो उन्होंने आज  उसकी मेहनत और ईमानदारी का सिला उसे इस तरह दिया चोर  कह कर " आमना जी ने कहा


तबरेज और आरिफ  ने आमना जी को संभाला और तबरेज बोला " अम्मी आपने वायदा किया था की आप कुछ ऐसा वैसा नही करेंगी और अब आप वो वायदा तोड़ रही है "

"पर भाई जान मामू की इतनी ज़ुर्रत हुयी कैसे की उन्होंने आपको चोर कहकर मुख़ातिब किया, क्या उन्हें पता नही है कि आप इतने सालों से कितनी मेहनत और ईमानदारी से उनकी दुकान अपनी समझ कर चला रहे थे , अम्मी को जाने दीजिये मामू को पता चलना चाहिए कि किसी पर बे बुन्याद इल्जाम लगाने का अंजाम क्या होता है , क्या उन्होंने इस तरह अपने एहसानों का बदला  हमसे  लिया कि मेरे बड़े भाई को चोर कह कर उस दुकान से निकाल दिया " आरिफ ने कहा



आरिफ  तुम सही कह  रहे हो लेकिन मामू ने वही सब कुछ कहा  जो उन्हें साजिश के तहत दिखाया गया । वो साजिश का शिकार हो चुके है  जब उस साजिश कि धुंद उनकी आँखों के सामने से छठ जाएगी तब देखना  सब  कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा, क्यूंकि जो कुछ भी उन्हें दिखाया गया था  वो सब  उनके बेटों और उनकी बीवी की मिली भगत थी  थोड़ा  हौसला रखो सब  ठीक हो जाएगा उनकी साजिश मुझे निकालने की नही बल्कि उस अनुज को निकालने की चोर  बना कर, लेकिन जब मेने उसका साथ दिया और कहा " की अनुज चोरी नही कर सकता भले ही इसके पिता को इलाज की ज़रुरत है  लेकिन फिर भी वो चोरी नही करेगा  "


बस  यही बात मामू को बुरी लगी की मैं उनका साथ क्यू नही दे रहा था  और उनके बेटे को जो की मेरा रिश्तेदार भी है  उसका साथ ना देकर मैं एक गैर मजहबी लड़के का साथ  दे रहा था  जबकी मैं जानता हूँ की अनुज सही है  और साद गलत है , तब मैं कैसे अपने भाई का साथ  देकर एक बेगुनाह को गुनेहगार साबित कर सकता था  मेरा ज़मीर  हमेशा  मुझसे  शिकायत करता इसलिए मेने उसका साथ दिया और मुझे भी उसकी चोरी का जो उसने की नही उसका भागी दारी समझ कर चोर ठहरा दिया गया जहाँ इज़्ज़त नही वहा रुकने से कोई फायदा नही इसलिए  मैं वो दुकान छोड़ कर आ गया  ये मेरा आखिरी फैसला था ।तबरेज ने सब  कुछ कह डाला


"थोड़ी देर वहा ख़ामोशी पसर गयी  तभी आमना  जी ने उसका हाथ पकड़ा  और कहा " तू परेशान मत हो तूने सच का साथ दिया देखना एक दिन ऐसा आएगा  कि सारा दूध का दूध  पानी का पानी हो जाएगा। ठीक  है  नही जा रही भाई जान की तरफ  तू परेशान मत हो। सही का साथ देने के लिए तूने जो कुछ किया एक दम सही किया हम सब  तेरे साथ है  " आमना  जी ने कहा


"जी भाई जान अम्मी सही कह  रही है , हम सब  आपके साथ है  आप बिलकुल भी परेशान ना हो, और रही बात काम की तो जो दुकान आपने मुझे दिलाई है  वो आपकी ही दुकान है  जब तक आपको कोई दूसरी जगह काम नही मिल जाता आप  आराम से उस दुकान पर कुर्सी पर बैठिये  और बिलकुल भी चिंता  मत करिये इतने सालों से आपने हमें संभाला है  अब आपको इस मुसीबत घड़ी में सहारा देने और सभालने की ज़िम्मेदारी हमारी है  आप  बिलकुल चिंता ना करे । फरिया  इसी बात पर  कड़क  चाय बना  कर लाओ और साथ में कुछ खाने का भी  आज हम सब शाम की चाय  का लुत्फ़ उठाएंगे  " आरिफ  ने कहा


"देखा अम्मी कितना बड़ा  हो गया  मेरा छोटा भाई  कितनी बड़ी बड़ी बातें करने लगा है  " तबरेज ने आँखों में आंसू लाते हुए कहा


"भाई जान आपसे ही सीखा है , आपने भी तो हमें कभी किसी भी मुश्किल या परेशानी में घुटने टेकने नही दिया हमेशा हमारे पीछे ढाल बन कर खड़े रहे ताकि गिरे तो आप हमें सहारा दे सको  अब वही सहारा बनने की ज़िम्मेदारी हमारी  है  " आरिफ  ने कहा


"सुन कर बेहद ख़ुशी हुयी मेरे भाई  तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया इस मुश्किल घड़ी में साथ देने के लिए " तबरेज ने कहा

"भाई जान शुक्रिया की क्या बात है , मुश्किल घड़ी में करीबी रिश्ते ही काम नही आएंगे तो क्या इंसान गेरो से उम्मीदें लगा कर बैठेगा  आप  परेशान ना हो सब  ठीक  हो जाएगा चलये अब अंदर  जाकर मुँह हाथ धो लीजिये फिर चाय  पीते है  " आरिफ  ने कहा


"लेकिन तुम्हारी दुकान वहा कौन है " तबरेज ने पूछा 

भाई जान दुकान आप  से बढ़ कर नही है , इस समय आपको हमारी और हमारे साथ की ज़रुरत है । मुश्किल घड़ी में इंसान को अगर अपने करीबी रिश्तों का साथ मिल जाए तो उसमे जिंदगी को दोबारा शुरू करने का साहस  और हौसला अपने आप आ  जाता है  आप  परेशान ना हो दुकान पर एक लड़का है  वो संभाल लेगा इस समय मेरे भाई को मेरी ज्यादा जरूरत है  ये कह  कर आरिफ  अपने भाई के गले लग  गया ।


थोड़ी देर बाद फरिया चाय ले आयी  सब  लोगो ने चाय पी लेकिन तबरेज अभी भी किसी चिंता में खोया हुआ था  कहने को अब सब  कुछ नार्मल था  उसके घर वाले उसके साथ थे  लेकिन फिर भी उसे एक अलग तरह की चिंता सता रही थी । आखिर क्या बात थी जो तबरेज को सता रही थी जानने के लिए पढ़ते रहिये  हर सोमवार।


धन्यवाद 

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3 Comments

Milind salve

25-Jul-2022 01:03 PM

Nice

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Raziya bano

25-Jul-2022 12:00 PM

Bahut khub

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Gunjan Kamal

25-Jul-2022 10:13 AM

बेहतरीन भाग

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